नई दिल्ली।अच्छी डिमांड के कारण क्रूड ऑयल के प्राइस में तेजी के अलावा ओपेक और रूस के प्रॉडक्शन में कटौती करने से देश में डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों ने मंगलवार को दिल्ली में डीजल 59.31 रुपये प्रति लीटर पर बेचा। कोलकाता में इसका दाम 61.97 रुपये और चेन्नई में 62.48 रुपये प्रति लीटर था। यह कीमतें सितंबर 2014 के बाद सबसे अधिक हैं। मुंबई में डीजल की कीमत 62.75 रुपये प्रति लीटर थी, जो इस वर्ष 3 अक्टूबर के बाद सबसे अधिक है।
डीजल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के दायरे में नहीं आता और इस वजह से राज्यों में स्थानीय करों के कारण कीमतें अलग-अलग हैं।अमेरिका में समुद्री तूफान के कारण रिफाइनरियों के बंद होने से कुछ समय पहले पेट्रोल और डीजल के दामों में बड़ी तेजी आई थी। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने 4 अक्टूबर से पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 2 रुपये प्रति लीटर कम कर दी थी। क्रूड ऑयल के प्राइसेज में मौजूदा तेजी से देश में बहुत से स्थानों पर एक्साइज ड्यूटी में कमी का असर समाप्त हो गया है। केंद्र सरकार ने राज्यों से भी स्थानीय करों में कटौती करने का निवेदन किया था। इसके बाद महाराष्ट्र और गुजरात ने पेट्रोल और डीजल पर वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) घटा दिया था। इन राज्यों में प्राइसेज में बढ़ोतरी का असर कम हुआ है।
मंगलवार को दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई में पेट्रोल की कीमत इस वर्ष 16 नवंबर के बाद से सबसे अधिक थी। मुंबई में पेट्रोल का दाम 10 अक्टूबर के बाद सबसे अधिक हो गया। दिल्ली में पेट्रोल 69.23 रुपये प्रति लीटर की कीमत पर बेचा गया।डीजल के दाम बढऩे से ट्रांसपोर्टर्स और किसानों की लागत बढ़ जाएगी। सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां प्रतिदिन फ्यूल के प्राइसेज में बदलाव करती हैं। ये प्राइस पिछले 15 दिनों के एवरेज रेट का एवरेज होते हैं।
पेट्रोल और डीजल के प्राइसेज में केंद्र और राज्य सरकारों के करों की लगभग आधी हिस्सेदारी होती है।फ्यूल के प्राइसेज में वृद्धि क्रूड ऑयल के इंटरनेशनल रेट्स में तेजी से बढ़ोतरी के बाद हुई है। पिछले छह महीनों में क्रूड ऑयल के दाम 42 पर्सेंट बढ़कर 65 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए हैं। क्रूड का प्रॉडक्शन करने वाले देशों के संगठन ओपेक और रूस की अगुवाई में ऑयल प्रॉडक्शन में कटौती की जा रही है। इसका कारण अधिक सप्लाई को रोकना है जिससे 2014 के मध्य में क्रूड के दाम बहुत अधिक गिर गए थे। ऑयल का प्रॉडक्शन करने वाले देशों ने कीमतों को बढ़ाने के लिए 2018 के अंत तक प्रॉडक्शन में 18 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी करने का फैसला किया है।अगर क्रूड के दाम में तेजी जारी रहती है तो इससे भारत का इम्पोर्ट बिल बढ़ जाएगा और महंगाई में बढ़ोतरी होगी।